Tuesday, January 17, 2017

छत्तीसगढ़ी अनुवाद

                 1 हिजडा
चैबीस-पचीस बरस उमर के एक झिन मइनखे ह ट्रेन मं बइठ के रइपुर ले बेलासपुर जात रहिथे। भाटापारा टेसन मं आठ-दस झिन हिजडा मन टेªन मं चघथे अउ ताली बजात-बजात लोगन ले पईसा मंगना सुरू कर देथे । मइनखे के नजीक मं आके ओखर ले कहिथे- हाय- हाय चिकने, हमन ला पइसा दे दे अउ हमर मन से आसीस ले लेे। हमन जउन कहिथन, वो ह सच हो जाथे। तोला हिरवइन सही खपसूरत घरवाली मिलही अउ तैं ह ओला अपन रानी बनाके रखबे ।
मोला तो हिरवइन सही खपसूरत घरवाली मिल गे रिहिस हे अउ मैं ह ओला रानी बनाके घलो राखे रेहंेव, लेकिन वो ह मोला छोड के दूसर संग भगा गे। मइनखे ह ओमन ला बताथे।
त तैं ह इहां बइठ के का करत हस ? चल तहुं हमर मन संग ताली बजा। हिजडा मन कहिथें
2 बजार-1
ये मौसम मं पताल ह इतना सस्ता हो गे हे के एक रूपिया किलो या रूपिया मं दू किलो घलो मिलत हे, अउ तैं ह ये सौ ग्राम टमाटर के सूप के पैकेट ला पचास रूपिया म खरीद डारेस। निचट मूर्ख हरस तंै ह। एक झिन दाई ह अपन बेटा ला खिसिया के कहिथे
एमा मूर्खता वाले का बात हरे? ये सूप ला मैं ह तभे पीहंू जब बजार मं पताल के भाव 80 रूपिया किलो हो जाही। बजार के प्रभाव मे फंसे हुये ओखर बेटा ह सफाइ देथे।
3 बजार-2
पापा मोला ये नूडल्स के पैकेट खरीद दे ना गा। शाॅपिंग माॅल म एक झिन बेटा ह अपन ददा ले कहिथे।
नइ बेटा ये ह जंक फूड हरे । एला खाये ले तबीयत खराब हो जाथे । ददा ह ओला समझाये के कोसिस करथे।
  मम्मी तैं खरीद देना वो । बेटा हा अपन दाइ ले कहिथे ।
बंेटा तोर पापा ह सही बोलत हे। एला खाये ले सिरतोेन म तबीयत खराब हो जथे। दाइ ह घलो ओला समझाये के कोसिस करथे।
ैलेकिन मम्मी, टी.वी., रेडियो अउ पेपर मं घलो एला पौष्टिक बताये जाथे। बजार के प्रभाव मं फंसे हुए बेटा ह तर्क करथे।
बेटा अपन बनाये सामान ला बेचे बर कंपनी मन झूठ बोलथें। दाई ह ओला असलियत बताये के कोसिस करथे
नइ मम्मी ये नइ हो सके। मोला तो लगथे के तुमन अपन पइसा बचाये खातिर झूठ बोलत हवव। बजार के कब्जा मं पूरी तरह फंसे हुए बेटा ह अपन दाइ ददा मन ला झूठा बता देथे।
4 क्रांति
     अपन घर के बाल्कनी  मे बइठ के पेपर पढे के मोर आदत हे।मोर घर के नजीक मं एक ठिन घुरवा हरे ।मै हमेशा देखंव के हमर पारा के सब्बो कुकर मन घुरवा म सकलाय रहिथेें अउ खाये बर कुछु मिल जाये कहिके घुरवा ला खोदियात रहिथे गरवा मन दूरिहा मे खडे होके कुकर मन ला निहारत रहिथे एक दिन मै देखेंव के उही घुरवा मं एक बडे जान गोल्लार के कब्जा होंगे हे कुकर मन भंूक भंूक के ओला खेदारा के कोसिस करत हे लेकिन गोल्लर ला कुछु फरक नइ पडत हे बल्कुन वो ह कुकुर मन ला हुमेलत हे कुकर मनअपन पूछी ला पीछू कोती दबा के एती ओती दउडत हावे ।वो दिन के बाद ले मै रोजे देखवं के घुरवा मं गोल्लर अउ गाय गरवा मन के कब्जा रहिथे अउ कुुुकर मन दूरिहा मं खडे होके ओमन ला निहारथे
5 लोकत्रंत
चंमपक वन नाम के जंगल मां चुनाव होत रहिथे बघवा अउ चितवा मन मुख्य उम्मीदवार रहिथे भलुवा तीसर मोर्चा के उम्मीदवार रहिथे ।हुड.रा मन अपन अलग क्षेत्रीय पारी बनाये रहिथे कोलिहा मन दलित पारटी के उम्मीवार रहिथे अउ जंगली कुकर मन निर्दलिय रहिथे कोटरी चीतर अउ हिरन मन मतदाता रहिथे मतदाता मन ला इही उम्मीदवार मन ले चुने के अधिकार रहिथंे ।जम्मो उम्मीदवार मन मतदाता मन ला धमकाये कस निवेदन करथे अउ मताधिकार के महत्तव ला बताथे दूसर जंगल के जानवर मन इही जाने के चंपकवन मं लोकतंत्र है।
6 परेम
तै ह कइसे कहि सकथस के तै अपन घर वाली से बिकट परेम करथस साहे्रब मै अपन घरवाली ला मारव नही एखरे से साबित हो जाये के मै हा अपन घरवाली ले बिकट परेम करथव
7 साधु
हमर साहब ह निचट शरीफ हरे वोह मोर संग बेटी बेटी कहि के गोठियात रिहिस हे निचट साधू मन सही हरे नवा नवा नौकरी मं लगे हुये एक लडकी ह अपन सीनियर मैडम कर गोठिया थे
अरे नोनी तै कुछु नइ जानस वो ये डोकरा हा एक नंबर के फिटियाल रिहिस हे अपने खोये हुये ताकत अउ जवानी लहुट के आ जाये कहि के दवाइ लिसे अउ रियेक्शन ले नंपुशक होगे  तब ले ये डोकरा ह जम्मो माइ लोगन मन ला बेटी बंेटी कहिथे अरे कइ ठिन थाना मे ये डोकरा के छेडकानी वाले मामला दर्ज होय हे सीनियर मैडम ह वो साधु के असलियत बताथे
8 धंधा करइया
महाराज आप मन मोर बेटी के बिहाव ला अच्छा ले निपटा देहव त मोर डहर ले पांच सौ एक रूपिया दक्षिणा के रख लेव एक झिान लडकी के ददा ह पण्डित ला कहिथे
तै मोला का चव्वनी छाप पण्डित समझ ले हस का  तै ह मेाला जादा पइसा दे पण्डित ह रिसा के कहिथे अच्छा पण्डित जी  ये छ सौ एक रूपया रख लेव लडकी के ददा ह कहिथे
मै अतेक दूरिहा ले छ सौ रूप्या मं ऐसी के तैसी कराये बर नइ आये हव पण्डित अउ जादा रिसा जाथे अच्छा महाराज अइसे करव आप मन खुदे अपन रेट बता दव लडिकी के ददा हा पण्डित ले पूछ थे
तै ही मोला का धंधा करिइयया समझ ले हस का बे जउन तै ह मोर से मोर रेट पूछत हस पण्डित भडक के कहिथे
अब महाराज मै ह त कुछु नइ कहाहत हो तिही अपन आप ला धंधा करइयया बतावत हस लडकी के ददा जवाब देथे
9 सिस्टम(वेवस्था)
बडे कुकुर ला देख के एक ठिन पिला ह गुर्राये के कोसिस करथे त बडे कुकुर ह भडक जाथे अउ पिला के चेथी मं अपन दांत गडिया के ओला खतम कर देथे बहुत पहिली ये घटना ह मोर आघू म घटे रिीिहस हे तब ले मोर पीछु कोती एक ठिन पूछी जाग गे हे जउन हमंेशा हालत रहय ।
10.गियानी
एक उन कुतन्निन के पीछे पांच कुकर मन लगे पीछु पांच कुकर मन लगे राहे हय । ओमा से एक कुकर ल ये लत समझ मं आगे के ओला कुछ मिलही नही त वो ह एक ठिन बड करव के खेाली म जाके बइठ जाये उसी समय एक झिन दूसर कुकूर ह कहिथे कइसे बे साले झोला गे हस का बे तोर मर्दानगी  ह खियागे हे का जउन ते ह इहा बइठ गे हस तै तो साले हमर कुकुर जात ला बदनाम कर देबे
ओखर बात ला सुन के वो ह जवाब देथे यार भाइ वो कुतन्निन के पीछू जब मै घूमत रेहेव तभे मोला अचानक तले आत्मज्ञान मिले गे के वासना ठीक नही हे उखर से मइनखे मन चरित्र हो जाये ।आत्मज्ञा मिले के बाद मै ह बड रूख के खाल्हे म बइठ गे हव
साले ये तै नही बर रूख ह बोलत हे कहि के वो दुसर कुकूर ह रेग दिया
11हल
एक झिन राजा अपन मंत्री ले कहिथे यार वो फलाना विचारक ह लोगन ला बड जल्दी प्रभावित कर लेथे वो साले ह परजा ला मोर खिलाफ भडकावत हावे दिनो दिन बड खतारनाक होवत जा थे ओला रोके के कोनो उपाय सोचे ल पडही महाराज तै चिन्ता झन कर अउ निशफिकर हो जा बस एक काम  करे बर पडही के ओखर बहुत अकन मूर्ति बनवा के हर चकउ मं स्थाफित कर देबो अउ परजा के बीच म ये फैलाये ला पडही के वो ह भगवान के अवतार हे बस तै देखबे लोगन  ओला भूल जाही अउ ओखर मूर्ति ह हमर कुछु नही उखाड पाही
12 हे भगवान
एक दिन मोला अचानक लगिस के मोर जइसे हे मइनखे के कोनो पुछइय्या नइ हे महु ल आस्तिक हो जाना चाही त मै हंु अपन एक झिन संगवारी कर अपन मन के बात गोठियाहंव वो ह मोला गारी दिस साले तोर जइसे नास्तििक मन दुनिया ला  बरबाद करत हे खैर अब तै मोर से सलाह हस तो मै तोला बतावत हव के तै मंदिर मं तै मंदिर मं जाके भगवान के सरत म चल दे सबले पहिली मै मंदिर पहंचवे त उहा के पुजारी ह मोला अउ करवा दिस के तोर जैसे नास्तिक मइनखे मन नरक म जाये ।उहा गरम तेल मे भजिया कस तरही मै उहा ले चर्च पहुचेव त ओमन कहिथे तोला अपन धरम करम ला बदल के इसाइ बनेला पडही नइ ते शैतान तोला  जियन खान नइ दिही ओखर मन के बात ल सुन के मै अउ जादा डर्रा गेव अउ हपरत हपरत मस्जिद पहंचेव । उहा मोला बताइस के तै जब तक ले दू चार झिन ला मारबे नइ तोला सरग नइ मिले । तोला जेहाद करे ला पडिही ओखर मन के बात ला सुन के मोर कपकपासी छुट गे अउ मै आटो पकड के एक मनोचिकित्सक कर पहुचेव वो ह मोला समझाइस तै आस्तिक बने के विचार ला त्याग दे ।तोर बर नास्तिक रहना ही ठीक हे ।आज मोर जिनगी आराम करत हावे
13 हे भगवान
कइसे बेटा तेै हा ये रसीद बुक ल धर के कहा किंजरत हस मै एक झिन लडका ले पुछेव ।
अंकल हमन गनेस बिठाये बर बरार सकेलथन वो जवाब दीस
तै एकेल्ला हस तोर दूसर संगवारी मन कहां हे  मै फिर पुछेव ।
अंकल हमन दस झिन हन अउ अलग अलग बरार सकेलथन लइका बताइस अरे बेटा तंुमन अलग अलग जादू तै तुमन ला कोइ चंदा नइ दिही तुमन ला पक्के संगरा भीड जइसे जाये बर पडही लोगन अपन श्रध्दा स ेचंदा नइ दे भीड ले डर्रा क ेचंदा  देथे समझ गेव ।
हव अंकल हमन अब ले चंदा मांगे बर एक संगरा जाबो
14 मेरा भारत महान
हमर देस महान मै एक झिन विदेशी ला बताये वोह किहिस अइसे का ।
मैं हा आगे अउ केहेव हमर धरम अउ संस्कृति ला दुनिया के दूसर देस टक्कर नइ दे सके वो ह फेर किहिस अइसे का मै अउ जोस मंे  आके के हेव हमर इंहा परखना केा घलो पूजा करे जाते ।तुम्हर इहा सिस्फि परखना के बर पूजा होथे इंसान मन के जिनगी झंटहोगे हे वो ह किहिस ।
आगे मै ओला कुछु नइ कहि पायेेन ।
15 खाली दिमाग
हमन अलग अलग धरम मानने वाला चार झिन दोस्त रेहेन ।एक घांव हमन विचार करने के लोगन घूमे फिरे फिरे बर जाये लो किन हमन अपन अपन भगवान के  परसन करे के उपाय करबो ।हमन नाम धान ला छाडने अउ हमन अपन अपन धरम के रीति रिवाज के हिसाब से पूजा पाठ सुरू कर देन।हयता दस दिन बाद हमर अपन अपन  भगवान मन परसन हो के बोलिन बेटा खाली दिमाग या तो शैतान के घर होथे  
या फेर भगवान के।
ओखर बाद हमन अपन अपन काम म लग गेेंन
16 संदेस
एक दिन मोर शहर मं पंगा होगे अउ दूसर धरम वाले मोर मर्डर कर दिस ।मरे के बाद मै जब उपर पहंुचेव तो मोर जिनगी क ेलेखा खोल के देखे के बाद उंहा निर्णय लिन के तै जिनगी भर नास्तिक रेहेस त तोला नरक मं जाये नरक मं पंहुच के मै देखेव के उहां दंगा मे मरे वाले मइनखे मन के बइठका सकलाय हे महंू बइठका मे सामिल हो गंेव ।बइठका मं निर्णय होगे ये धरम लडाये के काम करथे धरती मं धरम के कोनो जरूर नइ हे बइठका मं जम्मो झिन के सहमति ले प्रस्ताव पारित करे गिस के धरतीवासी मन ल संदेस पढाये जाये के वो मन धरम ला छोड के अधर्मी हो जाये
17.साधु संत
हमर साहब ह निचट शरीफ हे । वो ह मोला हमेशा बेटी बेटी कहिथे ।साधु मन सही हे ओर नवा नवा नौकरी म लगे एक लडकी ह अपन सीनियर मैडम ला बताइस ।
अरं नोनी तै ह कुछु नइ जानस वो ये डोकरा ह एक नंबर के फिटियाल रिहिस हे अपन खोये जवानी ला वापस पाये खातिर ये दवाइ लिखा दवाइ लिख दवाइ रियेक्सन कर दिस तो ये ह नंपुसक हो गे तब ले ये डोकरा ह जम्मो माइ लोगन मन ला बेटा बेटा कहिथे अरे ते नइ जानस वो कइ ठन थाना मे ये डोकरा के छेडखानी वाले मामला दर्ज हे ।सीनियर मैडम साधु के असलियत बताथे ।
18 का्रंति
अपन घर के बाल्कनी म बइठ के पेपर पढे के मोर आदत हे मोर घर के नजीके म एक घुरवा हे मै हमेशा देखंव के हमर पारा के सब्बो कुकुर मन वो घुघवा हा सकलाय रहिथे अउ खाये पीये के सामान बर ओला खोदियाथे गाय गोरू मन इहा खडंे होके कुकुर मन ला देखत रहिथे ।
एक दिन मै देखेव के घुरवा मं एक ठन बडे जान गोल्लर के कब्जा हो गे हे।
क्ुकुर मन भंूक भंूक के ओला खेदारे के कोसिस करत हे पर गोल्लर ला कुछु फरक नइ पडत हे बल्कुन वो ह कुकुर मन ला हुमेलथे ।
कुकर मन अब अपन पुछी ला पीछू डहर के दबा के एती ओती भागथे ।
वो दिन के बाद ले मै देखथंव के घुघवा म गोल्लर अउ गाय गरवा मन के कब्जा होगे हे अउ कुकुर मन दूरिहा खडे होके ओमन ला देखत रहिथे ।
19 पिण्डदान
प्ण्डिताइन हमर बेटी रेखा ह मोर मेर कहत रिहिस हे के वो ह राकेश संग बिहाव करना चाहत हे ।
प्ण्डित अरे का बात करत हसच ।बिहाव करे बर ओला उही दलित जात के लडका मिलिस हे ।
प्ण्डिताइन अरे जात पात के बात ल छोड लडका ह सरकारी नौकरी म हे । वो ह हमर बेटी के बिहाव बर चार पांच लाख रूपया जोडे हन वो बांच जाहि अउ हमर बेटा छोटु के मेडिकल कालेज म एडमिशन बर काम आही
प्ण्डित लेकिन हमर जात समाज के मन का  बोलही हमर तो नाक कट जाही
प्ण्डिताइन अरे जात समाज ला छोड ।जात समाज के लोगन मन ल देखाये बर हमन अपन बेटी से तोड लेबो अउ बोल देबो के ओह अपन मन से दिलित संग बिहाव कर लीस त हमन ओकर संग नाता तोड ले हन अउ वो ह हमर बर मर गे हे ।जादा होही त ओखर पिण्ड दान घलो कर देबो ।
हमर बेटी तो सुखी राहय ये कर ले जादा हमर बर का हे ।
20 वर्गभेद
मै सुरता करथव हमन जब छोटे रेहेन त हमर पारा म एके झिन टुरा कर क्रिकेट के किट रहाय । वह अपन किट ला एक शर्त म निकाले के वो ह जब तक ले चाही लेकिन बैटिग करत रही आउट नइ होही बालिग अउ फील्डीगं करत करत हमन हफर जान वो जब बैटिग करत करत बोरिया जाये तभे हमन ला बैटिग करे के चांस मिले ।अपन जिन्दगी मे हर कदम म मोला अपन बचपन याद आये ।
21 ब्रम्हहत्या
जल्लाद कालि तोला एक झिन अपराधी ला फांसी चघाना हे ।जेलर जल्लादले कहिथे
साहब वो ह का गुनाह करे हे ।जल्लाद पूछते
वो ह नान नान लडकी मन के रैप करे के बाद ओखर ला जान के मार देत रिहिस ते पाये के ओला फांसी के सजा होय हे अइसन कमीना मनखे ला फांसी मं चघाय मं मोला खुसी होही साहेब ।मोर बस चलतीस त मै कालि के जगा आजेच ओला ओला फांसी मं चघा देतेव ।वइसे साहेब वो ह कौन जात के हरे जल्लाद पूछथे
अपराधी मन के कोनो जात धरम नइ होय अपराधी ह सिरिफ अपराधी होथ
े जेलर ह पूछथे
जल्लाद ह पूछथे तभो ले कोइ कोइ ना कोइ कोइ जात हे तो कोइ जात हे तो हो ही च वो हर
हां बंाभन हरे पर तोला का मतलब हे ओखर जात ले
तब तो साहेब मोला माफ कर दे मै ओला फांसी मं चघा के बहाहत्या के पाप नइ कर सकंव ।मै जल्लाद हवं लेकिन मोरो तो धरम हे महु ला उपर जाके मुंह देखाय।
22 गियानी
सहर के एक पारा मं प्रवचन चलत रहिथे ।प्रवचनकर्ता स्वामीजी बड भारी गियानी लगत राहय प्रवचन के बीच मं स्वामीजी कहिथे जइसे तिरभुज के तीन उन कोनो होथे वइसने आतमा अउ परमात्मा के मिलन हो जाये आस्था से भरे हुए सुनैयया मन कहिथे वाह ।
स्वामीजी फंेर कहिथे जइसे चंदा सूरज अउ हमर धरती माता गोल हे डिक्टो बइसने परभ ह धरती म अवतार ले थे
लोगन कहिथे  वाह वाह ।
आस्था से भरे हुए श्रोता मन के वाह वाह ल सुन के स्वामीजी ला जोश आ जाथे अउ वो ह नाचत नाचत कहिथ्ेा जइसे कम्पूयटर के मे मेमोरी होथे वइसने हमर आत्मा ह टेलीविजन जइसे दिखथे ।
श्रोता मन घलो ओखर संगम नाचना शुरू कर देथे ।
तभे पागलखाना के एक ठिन एम्बुलेंस आ जाये ।एम्बुलेस से डाक्टर अउ कम्पाउडर मन उतरथे अउ लोगन ला बताये के ये स्वामी वामी नो हे हमर पागलखाना से भागे हुये एक बिकट खतरनाक पागल हरे ।
हमर स्वामीजी पागल कहिथैा कहिके लोगन मन डाक्टर अउ कम्पाउण्डर मन के ठुकाइ शुरू कर देथ्ेा
23 गांॅंधी जयन्ती
नगर निगम के आफिस म गांधी जयन्ती मनाये बर शासन से आर्डर होय रिहिस हे जेखर उपर चर्चा करे बर पार्षद मन के बइठका होवत रिहिस हे ।एक झिप् एंग्लो इंडियन पार्षद कहिथे हमन ला ये दारी गांधी बबा के जंयती ला धूम धाम से मनाना हे ओखर ये बात ला सुन के एक दूसर पार्षद बियंग कसथे हां हां भाइ तै तो धूम धाम से मनाये बर बोलबेच कार के गांधी ह तो  अंगरेज मन के दोस्त रिहिस हे ।
 इतिहास के पुस्तक मं लिखाय हे के वो ह कुकर के सेफ्टी वो ला जइसे काम एक उद्योगपति पार्षद कहिथे महात्मा गांधी ह एक महान पूरूष हे ओखर विषय मं अइसन टीका टिप्पण्ी ठीक नइ हे । ओखर बात ला सुन के एक  झिन पार्षद खडा हेा जाये अउ कहिथे तै तो बोलबेच कार के गांधी जी ह पंूजीवादी रिहिस हे। एक झिन बडे उद्योगपति ह ओखर करीबी रहिस हे ।धीरे धीरे बइठका ह मच्छीबाजार सही हो जाथे । जम्मो पाषर््ाद मन कांय कांय शुरू कर देथे मुस्लिम पार्षद मन गांधीजी के वैषण्व जन तो तेने कहिये गीत अउ हे राम म आब्जेक्शन उठात कहिथे वो ह साम्प्रदायिक रिहिस हे। और ओखरे सेती बंटवारा होइस।
दलित पार्षद मन कहाय गांधी ह अछूत मन के उद्वार करे के नाटक करे आखर मं सभापति ला हस्तक्षेप करता पड. जाये अउ वो ह कहिथे तुमन हल्ला गुल्ला बंद करव हमन ला गांधी जयन्ती मनाये के कोनो शौक नइ हावे । वो तो शासन से आर्डर मिले हे त मनाना जरूरी होगे हे । ओखर बाद जम्मो पार्षद मन शांत हो जाये अउ बैठक विसर्जित हो जाये ।
24 हिसाब किताब
मैं तोर बर सब करथंव लेकिन तै मोर बर एको कनी ख्याल नही रखस पत्नी कहिथे अच्छा ले तो बता के तै ह मोर बर का का करस
पति पूछथे मै तोर कपडा धोथव पत्नी कहिथे
ये काम तो पांच सौ रूपया महीना वाले बाइ ह घलोक कर ले थे पति कहिथे मै तोला राधं के खवाथंव पत्नि आगे कहिथे ।
 कपडा धोये के अउ रांध के खाय के दूनो काम ला हजार रूपिया महीना वाले बाइ कर लेथ।
मैं तोर पत्नि हरव रात मं तोर संग सोेथंव ेपत्नि हा भडक के कहिथे ।
कपडो धोवाइ रंधाइ अउ सोवइ ये तीनो काम महीना मे तीन हजार रूपिया वाले बाइ कर लेथे मै हर महीना तोर हाथ मं बीस हजार रूपिया लाके देथव मतलब मै हर सत्रह हजार रूपियाा के नुकसान मं चलत हव।
25 कुण्डली
ज्योतिसी मोर लइका के तबीयत हमेशा खराब रहिथे थोरिक एखर कुण्डलि  ल  देखके कोनो उपाय तो बता । एक झिन मइनखे ज्योतिसी ले पूछथे
ल्इका के कुण्डली देख के पता चलथे के ओखर दाइ ह ओखर तबीयत बर कोनो व्रत उपवास नइ करय । ज्योतिस ह बताथे ।
महु ल धंधा मं नुकसान होवत हे मइनखे हे आगे बताथे
तोर भाग्य ला तोर पत्नि हा रोक के रखे हे । वो हा तोरो भलाइ बर उपवास नइ करे ।ज्योतिष बताये
महाराज हमर घर मं हमेशा कलह मचे रहिथे । मोर बेटी हे पच्चीस बरस के हो गेहे अउ अभी ले सगा नइ उतरे हे । मइनखे ह बताथे
कलह के कारण तोर बेटी खुद हरे वो ह मंगली हे ज्योतिष बताथे
महाराज जतेक अपशकुन होथे ओखर बर ये माइलोगन ही जिम्मेदार रहिथे का मइनखे पूछते
अब मै का बोलव जजमान मइनखे ह तो झूठ बोल सकथे पर कुण्डली ह कभी झूठ नइ बोलय
26 पियार
जज तै कइसे कहि सकथस के तै अपन घरवाली से बिकट प्यार  करथस
बाकी साहब मै अपन घरवाली ला मारंव नही एखर से साबित हो जाथे के मै ह अपन घरवाली से बिकट परेम करथव ।
27 रेखा
सर आप मन बिकट स्मार्ट लगथव फिल्मी हीरो कस अइसे का मोर घरवाली ह घलो अइसने कहिथे अरे भइया आप मन के बिहाव होगे हे
हां मोर तो तीन साल के लइका घलो हवे
अच्छा अंकलजी मोर जाये के बेरा होगे हे टाटा बाय बाय
28 पूजा
वो ह पार्टी ले आधी रात के घर पहुंचथे । सुबह ओखर घरवाली करवा चैथा व्रत के पूजा बर सामान के लिस्ट दे रहिय अउ हर हाल मे लाना च हे कहिके चेताये घलो रहिथे ।आॅफिस मं काम ज्यादा होय के सेती वो ह पूजा के सामान नई लान सकिस ।वह डर्रात डरार्त बेडरूम मं पहुंचिस ओखर बाई बिस्तर मं लेटे रहिस वह ओखर नजीक म जाके कहिथे -साॅरि डार्लिगं आज मै तोर बताये पूजा के सामान ल नइ लात सकेंव ।तहूं का ले के बइठ हे हस ये टेम फालतू बात करे के नो हे कहिथे ओखर बाई एक हाथ ले ओला घर के बिस्तर मं खींच लेथे अउ दूसर हाथ ले बत्ती बुझा देथे ।
29 समागम
नदी मं पूरा आये रहिथे।प्रभावित ग्रामिण मन बर सरकार ह जगा जगा राहत कैम्प के बेवस्था करे रहिथे कैम्प मं खाये पीये के अउ साबुन सोडा के पूरा इंतजाम रहिथे ।कैम्प के अधिकारी मन ला निर्देश मिले रहिथे के कैम्प से कोइ मइनखे पलायन झन का पाये कार के सरकार ला अपन बदनामी होय के डर रहिथे तभो ले  एक दिन एक पति पत्नी ह उहां ले भागत धरा जाये ।अधिकारी मन ओमन ला चमकाये अउ पूछते तुमन ला का कमी हो गे हे सरकार ह खाये -पीये के पूरा बेवस्था करे हे तभो ले तुमन इहां ले भागत रेहेव आखिर बात का हरे ।
साहेब पेट के भूख तो मिट जाये जाथे लेकिन हमन पति पत्नि हरन हमन ला समागम के भूख घलो लगथे पति ह जवाब देथे ।
30 उपदेस
एक झिन मोरियारी महिला जेखर जवान लड.की ह पडोस के लइका संग भा जाये रहिथे -अपन पडेास म नवा नवा शिफट होय एक लडका ले कहिथे मैं ह सुने हंव के तै ह एक झिन जवान टरी ला झाडू पोछा अउ बर्तन बर रखे हस देख भाइ  इंहा जरा संमल के रहिथे इहां के टुरी मन थोरिकन चालू टाइप के हरे ।लडका ह स्वाभाविक रूप से कहिथे हांॅं महूं अइसने सुने हंव अउ ओखर बाद वो महिला के उपदेश बंद हो जाये ।
31 दत्तक पुत्री
तैं ये फारम मं साइन कर दे सरकारी आॅफिस के बडे बाबू ह नवा -नवा नियुक्त छोटे बाबू ला कहिथे ।कइसनहा फारम हरे ये ह छोटे बाबू पूछथे ।सरकार ह चाहथे के लोगन गरीब लडकी मन ला गोद ल ेले अउ ओमन ला अपन दत्तक पुत्री जइसे मान के ओखर मन के पढे. -लिखे के खचीला उठाले ।हमन सरकारी कर्मचारी हस तो हमरो मन के फर्ज बनथे  के गरीब लडकी मन ला गोद ले लन वस्ताद तोर कुर्सी तो आवक वाले हरे ।तोला बहुत अकन झटका पानी मिलत रहिथे ।तैं तो हमर जिला के सब्बो गरीब लडकी मन ला अकेला गोद ले सकथस अउ ओखर मन के पढाई लिखाई के खर्चा ला उठा सकथस मोला तो चाय -पानी के खर्चा तको नइ मिलय छोटे बाबू कहिथे
मै तोला एक ठिन बात बताना चाहत रेहेव  ये बात कान मे बताये के लइक हरे ।बडे बाबू कहिथे ।
लेन बता का बात हरे ।छोटे बाबू ह ओखर नजीक चल देथ्ेा ।गरीब लडकी मन के सूची मं दू -चार जवान लडकी मन घलो हरे ।बडे बाबू ओला धीरे बताये ।
अच्छा अइसे हे का । त ये बात तैं ह मोला पहिली कार नइ बताये हस ला मै सूची ला देख के सब्बो जवान लडकी मन ला अपन दत्तक पुत्री बना लंहू।
32 सुभीता
मैं ह सुने हंव के बिहाव के पहिली तोर बहुत झिन टुरी मन संग दोस्ती रिहिस ओमन तोला चिटठी -पत्री लिखे ।एक झिन पत्नि अपन पति ले नइ वो म ैलेखक एवं त मोर पाठिका मन के चिटठी आये लेकिन हमर मन के सम्बन्ध चिटठी -पत्री तक बस रिहिस हे।लेखक पति ह स्पष्टीकरण देथे ।
तब तो ठीक हे नइ ते मै ह तोला जिनगीभर माफ नइ करे रहितेव
पत्नि कहिथे ।
(महीना -दू महीना बाद )सरकारी नौकरी वाले
सुनना तोर एक झिन इंजीनियर दोस्त हे ना मोर नान्हे बहिनी संग ओखर बिहाव हो जाये अइसे कोइ चक्कर चला ना ।उही पत्नी ह अपन  पति ला जोजियाये सही कहिथे ।अरे नइ ओ लडका ठीक नइ हे ।वो ह तो एक नंबर के फिटियाल हरे निचट लूज करेक्टर हरे ओखर तो बहुत झिन गर्लफै्रण्ड संग ओखर चक्कर  चलत रहिथे ।वो ह ठीक नइ हे।पति अपन पत्नि ला समझाये ।
अब तै ह बहाना बनाना शुरू कर दे हस तै चाहिबे नइ करस के मोर बहिनी के बिहाव अच्छा घर मे हो जाय अउ वो ह सुखी राहय जब ले बेचारा ला फिटयाल अउ लूज करेक्टर बोलत हस ।अरे भइ बिहाव क पहिली तो सब चलथे ।पत्निी ह सुभीता के हिसाब से पलट जाथे ।
33 अमेरिका
मोर घर के आगू मं कुकुर मन खेलत हे । नर मादा पिला जम्मो कुकुर मन खेलत हे । खेलत खेलत एक दूसर ला पटकत हे ।एक दूसर के गोड ला झिकत हे ।एक दूसर ला चाटत हे ।मुंह मं कमची दबाये दउडथे लहुटथे फेर दउडथे हंे। मै ओमन ला खेलत देखत हंव एक टक देखत हंव।अचानक मै ह उठथंव अउ रंधनी खोली मं जाके बसियाये रोटी ला ला के ओखर मन के आगू मं डाल देथंव ।
अब मै देखत हवं जम्मो कुकुर मन बसियाये रोटी बर भंयकर तरीका से झगरत हें अउ मे हा मुसुर -मुसुर हांसत हवं
34 दाई
हमर पारा मं ठिन कुतनिन पेट से रिहिस हे ।हमन ओला कभू -कभार रात के बाचे खाना दे देत रेहेन ।हफ्ता दू हफ्ता बाद वो ह पिला जन दिस ।अपन पिला मन ला दूध पिलाये बर जरूरी रिहिस हे के ओला अच्छा से खाये बर मिले वो कुतनिन ह बड आस लगा के हमर दुआरी मं आ जाय ।खाना बाचे राहय त हमन ओला दे देन नइ ते वो ह अइसने लहुट जाये ।हफ्ता -दू हफ्ता बाद वो ह अपन पिला मन संग हमर दुआरी मं आये ।ओखर पिला मन ला देखके हमर गया जाग जाये अउ हमन कुछु खाये के दे दन । आज ओखर पिला मन बडे. बाड गे हे ।हमर अंगना मं खाये -पिये बर ओमन झगरत  रहिथे अउ अपन दाइ ल हमर अंगना मं आन नई दे झगडा.करके ओला खेद देथे ।
35 बजार  
वो शहर के गोल बाजार मं जडी -बूटी के एक नामी दुकान राहय ।दुकान के नाम राहय अग्रवाल जी के दुकान । दू -चार बरस बाद वो दूकान के अगल -बगल मं चार ठिन जडी बूटी के दुकान अउ खुले जाये सब्बो दुकान मंे बोर्ड लागे राहय -अग्रवालजी के दुकान ।अपन  अलग पहचान बताये वो नामी दुकानदार बोर्ड मं लिखवाथे -असली अग्रवाल जी के दुकान  त दूसर दुकानदार मन घलो अपन -अपन बोर्ड मं लिखवा लेथे -असली अग्रवाल जी के दुकान ।असली दुकानदार ह कंझा जाथे अउ वो ह लिखवाथे रघुनंदनलाल अग्रवाल के दुकान त दूसर दुकानदार मन एक कदम आगु बढ. जाये अउ ओमन लिखवा देथे -असली रघुनंदनलाल जी के दुकान ।
36 बाजार-3
ग्राहक -भइय्या मोला एक -दू रूपिया वाले लिखो -फेको पेन देबे।
दुकानदार ये ले ये ह बहुत अच्छा पेन हे ये ह एक नामी कम्पनी के पेन हरे एखर जइसे फ्री चलने वाले पेन तोला कहू नई मिलही अउ कीमत भी ज्यादा नई हे सिरिफ दस रूपिया के हरे
ग्राहक -अरे भइय्या मोला लिखो फेको पेन चाही एक दू रूपिया वाले ।दुकानदार -ये ले यहू एक ब्राण्डेड कम्पनी के पेन हरे ।सिरिफ पांच रूपिया कीमत हे एखर ।
ग्राहक -अरे यार मै जब ले तोला बोलत हंव के मोला एके दू रूपिया वाले लिखो -फेको पेन चाही तभो ले तै ह मोला दूसर -दूसर मंहगा वाले पेन देखात हस ।
दुकानदार -तं तै ह ये बात ला जान ले के हमन एक -दू रूपिया वाले सडियल पेन अपन दुकान मं नइ रखन ।
ग्राहक -एखर मतलब ये हरे के मोर हैसियत तोर दुकान के लायक नइ हे ।
दुकानदार -ये तो तिही सिध्द करत हस
37 अपन-अपन दुकानदारी
वो देस मं बात -बात मं बंद के आयोजन हो जाये ।दुकान ला बरपेली बन्द कराये लेकिन पेपर मं छपे के दुकानदार मन अपन स्वेच्छा से बंद रिहिन हे ।वो देस मं कभु सत्ता पक्ष तो कभु विपक्षी पार्टी ह बंद के आयोजन करे ।अइसने एक दिन शहर मं बंद के आयेजन होय रहिस ।पार्टी के कार्यकर्ता मन जबरन बंद करात राहय तभे एक झिन दुकानदार अउ उहां खडे मजदूर मन एक कार्यकर्ता ले पूछथे -अइसने बंद के आयोजन ले का फायदा होथे उलटा बाजार बंद रहे से नुकसान हो जाथे। ओखर मन के प्रश्न के उत्तर मं कार्यकर्ता ह मुसकाये अउ कहिथे -बाजार बंद कराये से हमर राजनीति के दुकान खुल जाये अब हमु मन का करन अपन -अपन दुकानदारी हे भाई।
38 बाजारीकरण
का यार तहूं आजादी के दिन घलो मंुह ला अरो के किंजरत हस ।कम से कम आज के दिन तो देशभक्ति के भावना से भरे होना चाही ।अब तै ह मोला च देख ले मै हर बरस 15 अगस्त आये चार दिन पहिली ले तैय्यारी शुरू कर देथंव सबसे पहिली मै ह बाजार जाके खादी के कपडा. खरीदथंव ।आजकल तो बाजार मं खादी ह घलोक फैशन मं शामिल हो गे हे ।कपडा खरादे के बाद मै झण्डा खरीदथंव ।घर के हर सदस्य बर एक -एक झण्डा खरीदथंव ।ये बछर तो मै हा अपन लइका मन बर तिरंगा वाले कमीज खरीदथंव ।सिरतोन यार तिरंगा के ओपन इस्तेमाल के छूट मिले के बाद बाजार मं हर जगा तिरंगा दिखाये ।एक दोस्त ह दूसर ले कहिथे मोला माफ करबे दोस्त मोला ना तो देशभक्ति के बजारीकरण करना हे अउ न तो बजार के देशभक्तिकरण
39 गुलामी
तै ह मोर ले निवेदन करे रेहे त मै ह तोर उपर तरस खाके तोला अपन गुलामी ले आजाद करे दे रेहेव  लेकिन तै ह लहुट के मोरे कर फेर आ गे हस अउ कहात हस के मोला फेर अपन गुलाम बना ले आखिर येखर का कारण आय ।मालिक ह अपन गुलाम ले पूछथे मालिक मै ह तोर ले आजाद हो गे रेहेव लेकिन मै ह अपन गुलामी वाले मानसिकता ले आजाद नइ होय सकेव ते पाय के मैें लहुट के तोरे दुआरी मं आ गंेव फेर गुलाम बने बर गुलाम ह उत्तर देथे।
 40 कुनैन
यार आजकल शराफत के जमाना नइ ये।लोगन शरीफ मन ला कमजोर समझथें एक झिन दोस्त ह दूसर ले कहिथे ।यार भाइ आजकल के जमाना मं जउन मइनखे कमजोर हरे उही ह शरीफ हे ।
 41 श्रेय
वो डोकरा ह कौन रिहिस हे जेखर संग तै ह गोठियात रेहे।एक झिन पति अपन पत्नि ले पूछथे ।बिहावपारी
मैं ह पहिली जेन स्कूल मं टीचर रेहेव उही स्कूल के वो ह प्रिसियल हरे ।पत्नि बताये मोला अनुशासन कर्तव्यनिष्ठा अउ सिध्दांतवादिता के पाठ उही पढा.ये हे ।एखर मतलब ये हरे के तोर बिगडे के पूरा क्रेडिट उही डोकरा जा जाये ।पति बोलय
42 इकलौता
 लइका के जमानत कराये के बेवस्था कर जब लइका छोटे रहिथे)
पति -कइसे तै पन्दरा ला देख -देख कार होय के बावजूद लइका बर अउ एक ठिन कार खरीद डारेस
पत्नि खेलौना ला देख देख के वो ह ललचात रिहिस हे त मै ह खरीद डारेन मै ह लइका ला ललचात कइसे देख सकत रेहेव।
हमर एक झिन तो लइका हे।
पति -अरे भई पहिली ले पन्दरा बीस कार घर मां पडे हे तभो ले तैं ह पइसा खरचा कर डारेस ।पइसा खर्चा करे के पीछू कोई कारण तो होना चाही ।पत्नि -कारण -फारण ला छोड. हमर लइका के खुसी मां हमर खुसी मां हमर खुसी हे।हमर एके लइका एके झिन तो लइका हे ।च
तीन -चार (बछर बाद )
पति -तैं ह लइका ला का फालतू के खाउ खवाथस ।तोला मालूम नइ ये का के बाहर के चीज खाये से तबीयत खराब हो जाये ।मैगी वाले बात ला तै ह सुने होबे ।
पत्नि -लइका ह जिद करत रिहिस हे त खवात हवं दू चार पैकेट खाउ खजाना खाये ले काकरे तबीयत खराब नई होय ।लइका के इच्छा हमर इच्छा लइका के उमर 14-15 साल के हो जाये ।
पति -मै ह सुने हंव हमर बेटा हे स्कूल मं दादागिरी करत रहिथे ।पढाई -लिखाई मं एको कनी घियान नई दे अउ दूसर लइका मन ला मा-बहिनी के गारी देथे मारथे घलो ।
पत्नि -आज के जमाना मं दादागिरी जरूरी हे नई ते लोगन ह सिधवा समझ के हावी होय के कोसिस करथे ।मै ह अपन बेटा ला तोर सही जोजवा नई बताना चाहंव ।(लइका के बालिग होय के बाद )
पति -ले तोर इकलौता लइका ह मार -पीट के आरोप मं अन्दर होगे।
पत्नि -हाय -हाय मोर किस्मत फूट गे रिहिस हे जो तोर संग मोर बिहाव होगे। तोर जइसे गैर जिम्मेदार आदमी के लइका तो अन्दर होबे करहि ।
तै ह लइका डहर एको कनी घियान नइ देते रेहे त वो ह बिगड.वेच करही अब इंहा खडे कार हस जा हमर एके झिन झिन तो लइका हे ।
43 विरोध
जेठ के महीना रिहिस हे।एक दिन मै ह मंझनिया कुन घर ले बाहर कोनो काम ले निकले व तभे मोर कान मं लाउडस्पीकर के आवाज सुनाई परिस
दारू के दलालो को जूते मारो सालो को
अभी तो ये अंगडाई है आगे और लडाई है
हमने मन में ठाना है दाउ भटठी हटाना है ।
हम इस बीच बस्ती से दारू भटठी हटाकर रहेंगे हटाकर रहेंगे।
इंकबाल जिन्दाबाद
जोश मं भरे हुए नारा ला सुन के मंहु जोशियागेंव ।
समाज कल्याण के  भावना ले प्रेरित होके मैं आंदोलन वाले जगा मं पहंचेव त देखेव के उहां एक ठिन टेण्ट गडे हुए हे अउ एको झिन आंदोलनकारी नइ ये ।भाषण के सिरिफ टेप बस चलत हे ।मैं ह कंझाके उहां ले लहुट गेंव तभे मोर करन मं आवाज सुनाई परिस
हर करम अपना करेगे  ऐ वतन तेरे लिये
दिल दिया है जां भी देगें ऐ वतन तेरे लिये
44 दउड.
मै ह कालि तुम्हर मन के दउड. ला देखेव ।तुमन अपन मालिक बर जी-जान लगा देखव ।तुम्हर ये गुन तो हमर वफादारी के गुन ले भी बडे हे।एक ठिन कुकुर हे रेसिंग वाले घेाडा ले कहिथे ।
नइ भइय्या इसन कोनो बा तनइ  हे।जीव -जान लगाये वाले बात नई हे ।हार के बाद हमन ला जो दण्ड भुगते ला पडथे ओखरे विचार करके हमन मरे जिये ले दउडथन ।घोडा. ह कुकर ला असलियत बताथे।
।हमर एके झिन तो लइका हे। तीन-चार बछर बाद
पति तै ह लइका ला का फालतू के खाउ खवाथस ।तोला मालूम नई ये का के बाहर के चीज खाये से तबीयत खराब हो जाये मैगी वाले बात ला तै हसुनेप होबे ।
पत्नि लइका ह जिद करत रिहिस त खवात हंव दू चार पैकट खाउ खजाना खाये ले काकारे तबीयत खराब नइ होय ।लइका के इच्छा होना चाही आखिर हमर एके झिन तो लइका के इच्छा हमर इच्छा होना चाही आखिर हमर एके  झिन तो लइका हे।लइका के उमर 14-15 साल के हो जाये ।
पति मै ह सुने हंव हमर बेटा ह स्कूल मं दादागिरी करत रहिथे ।पढाइ -लिखाइ मं एको कनी घियान नइ दे अउ दूसर लइका मन ला मां -बहिनी के गारी देथे मारथे घलो ।
पत्नी आज के जमाना मं दादागिरी जरूरी हे नइ ते लोगन ह सिधवा समझ के होवी होये के कोसिस करथे ।मै ह अपन बेटा ला तोर सही जोजवा नइ बनाना चाहव ।
(लइका के बालिग होये के बाद)
पति -ले तोर इकलौता लइका ह मार पीट के आरोप मे अंदर होगे ।
पत्नी -हाय -हाय मोर किस्मत फूट गे रिहिस हे जो तोर संग मोरे बिहाव होगे ।तोर जइसे गैर जिम्मदार आदमी के लइका तो अन्दर होबे करहि ।तै ह लइका डहर एको कनी घियान नइ देत रेहे त वो ह बिगडवेच करहि।अब इंहा खडे कार हस जा लइका के जमानत कराये के बेवस्था कर हमर एके झिन तो लइका हे।













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